अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ,उत्तर प्रदेश (रजि.)

हमारा एक मात्र संकल्प

विनियमितीकरण / यूजीसी न्यूनतम वेतनमान

Authorities

Dr. Dileep Shukla

प्रदेश संयोजक

Dr. Arunesh Awasth

प्रदेश अध्यक्ष

Dr. Omkar Nath Pandey

प्रदेश महामंत्री

Website का उद्घाटन

सम्मानित शिक्षक साथियों, बड़े ही हर्ष का विषय है कि दिनांक 13 मई 2022 को दिन शुक्रवार की शाम को उत्तर प्रदेश के अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित शिक्षकों के कल्याणार्थ बनी वेबसाइट https://adcsftaup.com का उद्घाटन उपमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार, माननीय श्री बृजेश पाठक जी के कर-कमलों द्वारा किया गया। इस मौके पर अनुदानित महाविद्यालय स्ववित्तपोषित शिक्षक संघ, उ.प्र. (रजि.) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुणेश अवस्थी, प्रदेश महामंत्री डॉ. ओंकार नाथ पांडेय व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे । इस मौके पर प्रदेश के सभी शिक्षकों को माननीय श्री बृजेश पाठक जी ने बधाई एवं शुभकामनाएं प्रेषित की ।

उच्च शिक्षा मंत्री जी का शुभकामना संदेश

माननीय श्री योगेन्द्र उपाध्याय जी

उच्च शिक्षा मंत्री
उत्तर प्रदेश सरकार

“साथियों, माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी ने 27 अप्रैल 2022 को जिस प्रकार बड़े ध्यान से लगभग 50 मिनट तक हमारी व्यथा को सुना और समझा है, इससे हमारे अंदर की सोयी हुई उम्मीद फिर से जागी है; हमारा संगठन लगातार माननीय मंत्री जी के संपर्क में है।

साथियों, हमें पूर्ण विश्वास है कि माननीय मंत्री जी हमारी व्यथा का निराकरण भी यथाशीघ्र अवश्य करेंगे।”

डॉ. अरुणेश अवस्थी (प्रदेश अध्यक्ष)

विनियमितीकरण/ यू.जी.सी. न्यूनतम वेतनमान प्राप्त करने के प्रमुख आधार

  • 2006 में उत्तर प्रदेश के 24 अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित बी.एड. पाठ्यक्रम के शिक्षकों को विनियमित किया गया।

  • 2014 में उत्तर प्रदेश के 17 नैक ‘ए’ महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित शिक्षकों को रूसा के द्वारा न्यूनतम यूजीसी वेतनमान प्रदान किया गया।

  • 12वीं पंचवर्षीय योजना के छठवें और सातवें पैरा में यूजीसी ने स्पष्ट उल्लेख किया है कि यदि राज्य सरकार चाहे तो अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों के शिक्षकों को अनुदान दे सकती है।

  • माननीय उच्च न्यायालय प्रयागराज में योजित अवमाननाबाद संख्या (2604/2018), द्वारा निर्गत न्यूनतम यूजीसी वेतनमान (57700), का आदेश।

हमारी पृष्ठभूमि

वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में तीन प्रकार के महाविद्यालय कार्यरत हैं-

1. राजकीय महाविद्यालय (Govt. College)

2. अशासकीय सहायता प्राप्त (अनुदानित) महाविद्यालय (Aided College)

3. पूर्ण स्ववित्तपोषित महाविद्यालय (Self-Finance College)

हम इनमें से अशासकीय सहयाताप्राप्त (अनुदानित) महाविद्यालय में एक स्ववित्तपोषित अनुमोदित शिक्षक के रूप में विगत लगभग 20 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रहे हैं ।

हमारी संघर्ष यात्रा

स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रमों का जन्म उत्तर प्रदेश सरकार के एक आदेश 9 मई 2000 के अनुपालन में शुरू हुआ। स्ववित्तपोषित शिक्षक के रूप में नियुक्त शिक्षकों को जब अपनी वास्तविक स्थिति का एहसास हुआ और धीरे-धीरे समय जब कठिनाईयों का एहसास कराने लगा तो अपने हक (अधिकार) को प्राप्त करने के लिए अपनी आवाज को प्रभावी ढंग से सरकार तक पहुंचाने के लिए एक संगठन की आवश्यकता को महसूस कर सन 2005 में राज कॉलेज, जौनपुर के शिक्षक

डॉ. विजय प्रताप तिवारी ने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में प्रदेश के तमाम शिक्षक साथियों के साथ संगठित होकर हमारे विनियमितीकरण की जोरदार आवाज उठानी शुरू कर दी…

न्यायालय की शरण में!

सरकार के रुख से असंतुष्ट होकर हमारे कुछ शिक्षक साथी माननीय उच्च न्यायालय की शरण में पहुंचे … जिसमें डॉ. सुरेश पांडेय का नाम उल्लेखनीय है। डॉ. सुरेश पांडेय बनाम उत्तर प्रदेश शासन याचिका सं० 729/2012 की डबल बेंच में माननीय न्यायमूर्ति डी.पी. सिंह ने वर्ष 2013 में अपने महत्वपूर्ण निर्णय में पैरा नंबर 48 व 53(3) के अंतर्गत अनुदानित महाविद्यालयों के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम में कार्यरत शिक्षकों को न्यूनतम यूजीसी वेतनमान दिए जाने का निर्देश दिया था। इसके अनुपालन में तत्कालीन प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा, कल्पना अवस्थी ने कोर्ट में यह हलफनामा दिया कि अनुदानित महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के शिक्षकों को यूजीसी वेतनमान प्रदान किया जाएगा। इसका अनुपालन करने के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय ने वित्तीय भार का प्रस्ताव भी भेजा था , किंतु उचित एवं अनुकूल कार्यवाही न करते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार माननीय उच्चतम न्यायालय गई , लेकिन वहां भी निर्णय अनुदानित महाविद्यालय के स्ववित्तपोषित पाठ्यक्रम के शिक्षकों के पक्ष में सकारात्मक ही रहा। समय का चक्र ऐसे ही तमाम प्रयास करते कराते वर्ष 2018 तक ले आया, जब जुलाई माह में हमारे एक जुझारू साथी डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने इस आदेश का अनुपालन कराने के लिए माननीय उच्च न्यायालय, प्रयागराज में अवमानना याचिका संख्या 2604/ 2018 दायर की… इसी क्रम में उच्च शिक्षा निदेशक एवं अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा को कोर्ट ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष रखने के लिए कहा!! आज तक यह अवमाननावाद प्रक्रियाधीन है.. यहां भी संघर्ष लम्बा खींचता हुआ दीखता है, जब सरकार वाद संख्या 458/2021 के द्वारा विशेष अपील में चली गई, इसमें यूजीसी न्यूनतम वेतनमान 57700 देने का आदेश और अवमानना वाद 2604/2018 में अपर मुख्य सचिव, उच्च शिक्षा तथा निदेशक उच्च शिक्षा की व्यक्तिगत उपस्थिति पर मुहर लगाते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने आंशिक रूप से सरकार की यह बात मान ली कि 57700 कालेज देगा.. अब फिर डॉ. नीरज श्रीवास्तव ने पुनर्विचार याचिका संख्या 213/2021 दायर की जिसमें तारीख पर तारीख की परंपरा के कारण उत्पन्न क्षोभ के रूप में अपना पक्ष रखते हुए विगत 16 मई को उन्होंने पुनः तारीख दिए जाने का विरोध किया…उनके इस तरह अपना पक्ष रखने को माननीय न्यायमूर्ति गण ने न्यायालय के साथ दुर्व्यवहार माना और इस पर सुनवाई हेतु माननीय मुख्य न्यायाधीश को संदर्भित कर दिया… बावजूद इसके तमाम अनुभवी अधिवक्तागणों ने माननीय उच्च न्यायालय में अपनी आस्था रखते हुए आने वाले समय में हमारे अनुकूल निर्णय होने की बात कही है !!

हम सभी विश्वस्त हैं कि माननीय उच्च न्यायालय यथा शीघ्र हमारे साथ न्याय करेगा और उसका सम्मान करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार हमें यूजीसी न्यूनतम वेतनमान 57700 अवश्य प्रदान करेगी।

"यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा l जमीन बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा ll ना हो मायूस ना घबरा इन अंधेरों से। मेरे साथ इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा l।"

नई कार्यकारिणी: उम्मीद की एक किरण

सपा सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के आश्वासन के बाद लखनऊ से बड़ी संख्या में खाली हाथ लौटे शिक्षकों के मध्य एक नैराश्य का माहौल छा गया था। इस घोर निराशा के बाद पूरे प्रदेश के शिक्षकों ने कोर्ट की ओर देखना प्रारंभ किया। कोर्ट में शिक्षकों के पक्ष में निर्णय होने के बावजूद हमें कोई लाभ नहीं हो सका। परिणामस्वरूप एक मजबूत राजनैतिक पहल की आवश्यकता महसूस होने लगी… शिक्षकों की पीड़ा तथा कोर्ट के सकारात्मक पक्ष को सरकार के समक्ष रखने तथा आवश्यकता पड़ने पर सरकार और कोर्ट के बीच में मध्यस्थता निभाने एवं सरकार पर दबाव बनाने आदि के उद्देश्य से दिनांक 21 मई 2021 को अनुदानित महाविद्यालयों के इतिहास में पहली बार स्ववित्तपोषित शिक्षकों की, गूगल फॉर्म के माध्यम से व्यक्तिगत सूचनाएं एकत्रित की गईं, जिसमें लगभग 2500 शिक्षकों का डाटा प्राप्त हुआ। प्रदेश में इस तरह के प्रथम प्रयोग से शिक्षकों के मध्य ऊर्जा का संचार हुआ तथा सभी शिक्षकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। डाटा कलेक्शन का यह कार्य लगभग 1 महीने में संपन्न हुआ। 27 जून 2021 को 13 विश्वविद्यालयों (अब 16 विश्वविद्यालय) की अंतिम संशोधित लिस्ट प्रकाशित की गई । 28 जून 2021 को पहली बार प्रदेश के सभी शिक्षकों को एक प्लेटफार्म, टेलीग्राम-महा ग्रुप में जोड़ने का प्रयास प्रारंभ हुआ। इसके उपरांत 25, 26 एवं 27 अगस्त को तीन दिवसीय पत्राचार अभियान चलाया गया, जिसके अंतर्गत एडीशनल चीफ सेक्रेट्री, शिक्षा मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल तथा प्रधानमंत्री को पत्र भेजे गए , इसमें सभी शिक्षकों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। तदुपरांत दिनांक 5 सितंबर 2021 को शिक्षक दिवस वाले दिन भूखे पेट दुःखी मन शिक्षक टि्वटर अभियान चलाया गया। इसी क्रम में पुनः सरसंघचालक माननीय मोहन भागवत जी के लिए पत्राचार अभियान चलाया गया जिसमें सभी शिक्षकों के सहयोग से यह अभियान भी सफल रहा। शिक्षकों की सक्रियता एवं इन सभी अभियानों के प्रतिफल स्वरूप राजभवन में 14 सितंबर 2021 को माननीय राज्यपाल महोदया के निर्देश पर एडीशनल चीफ सेक्रेट्री राजभवन एवं उच्च शिक्षा के आला अधिकारियों के समक्ष डॉ.अरुणेश अवस्थी द्वारा समस्या को प्रभावशाली ढंग से रखा गया, जिसके फलस्वरुप सचिवालय ने 23 सितंबर को शिक्षक संघ को मीटिंग के लिए आमंत्रित किया। मीटिंग में अधिकारियों के सकारात्मक रुख के बावजूद कार्य मंद गति से आगे बढ़ने लगा। कार्य को निर्बाध गति से सफल बनाने हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों, प्रभावशाली नेताओं तथा सचिवालय एवं लोक भवन के विभिन्न उच्च अधिकारियों से जोरदार पैरवी की गई यहां तक की प्रदेश में पहली बार इस विषय पर हमारे शिक्षक साथी डॉ. अरुणेश अवस्थी द्वारा माननीय मुख्यमंत्री जी के समक्ष बात पहुंचाने का प्रयास भी किया गया.. किंतु सफलता नहीं मिल पाई और चुनाव आ गया।

इसी दौरान शिक्षकों ने नेतृत्व परिवर्तन हेतु 25 एवं 26 जनवरी 2021 को चुनाव का आयोजन किया, जिसमें ऑनलाइन वोटिंग के माध्यम से कानपुर टीचर्स एसोसिएशन (कूटा), अध्यक्ष डॉ. बी.डी. पांडेय के पर्यवेक्षण एवं मानदेय शिक्षकों के संघर्ष के अगुआ कार डी.ए.वी. महाविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ.अमित रघुवंशी जी के सह-पर्यवेक्षण में चुनाव संपन्न हुआ। चुनाव परिणाम की घोषणा में 26 जनवरी को शिक्षक विधायक माननीय राज बहादुर सिंह चंदेल जी की उपस्थिति में चुनाव पर्यवेक्षक डॉ. बी.डी. पांडेय द्वारा डॉ. अरुणेश अवस्थी को प्रदेश अध्यक्ष निर्वाचित किया गया।

नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष एवं कार्यकारिणी ने सरकार बनते ही दोनों उप-मुख्यमंत्रियों, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों तथा अन्य नवनिर्वाचित नेताओं का अभिनंदन करते हुए चुनाव पूर्व किया गया वादा याद दिलाया तथा माननीय उच्च शिक्षा मंत्री जी का जोरदार अभिनंदन करने के उपरांत डॉ. अरुणेश अवस्थी एवं उनकी कार्यकारिणी के द्वारा शिक्षकों की समस्या को प्रभावशाली ढंग से रखा। अनुदानित महाविद्यालयों के इतिहास में पहली बार पारदर्शिता एवं शिक्षकों के हितों की रक्षा हेतु संघ का खाता खोला गया तथा संघ की अपनी वेबसाइट का निर्माण भी कराया गया।

नवनिर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष एवं नयी कार्यकारिणी अपने एक मात्र संकल्प (विनियमितीकरण/यूजीसी न्यूनतम वेतनमान), प्राप्त करने के लिए लगातार हर संभव सार्थक प्रयास कर रही है तथा आपके द्वारा, सहयोग की अपेक्षा करती है !